बांग्लादेश में प्रगतिशील सांस्कृतिक कर्मियों ,मीडिया और अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे दमन की तीव्र निंदा की क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच ने *
एक वक्तव्य में क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच कसम ने कहा कि हम गहरी चिंता के साथ यह देख रहे हैं कि हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में 1961 से निरंतर सांस्कृतिक गतिविधियाँ संचालित करने वाली प्रतिष्ठित संस्था “छायानट” ,प्रगतिशील सांस्कृतिक दल “उडीची”, समाचार पत्र” प्रथम आलो”और ” डेली स्टार” पर हाल ही में युनुस प्रशासन के प्रशय से धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा किया गया बर्बर हमला अत्यंत निंदनीय और अभूतपूर्व है।
बांग्लादेश की तरह हमारे देश में भी संघी मनुवादी हिंदुत्ववादी फासीवादी ताकतों के बेलगाम हमलों के ज़रिये अन्य भाषा व संस्कृतियों की उपेक्षा कर जबरिया हिंदी हिन्दू हिन्दुस्तान के विचार को थोपकर,एक देश एक चुनाव,विपक्ष मुक्त भारत , इतिहास और संस्कृति का विकृतिकरण व सांप्रदायीकरण तथा नई शिक्षा नीति के जरिए शिक्षा का निजीकरण व भगवाकरण किया जा रहा है।भगवा फासिस्ट कॉरपोरेट गठबंधन द्वारा हमारी बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक विरासत पर आघात किया जा रहा है। साथ ही साथ अडानी अंबानी सरीखे महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने और उनकी लठैत फासिस्ट संघ परिवार,केंद्र में और भाजपा शासित राज्यों में दमनकारी नीतियों के माध्यम से जनता को कुचलते हुए सांझी शहादत साझी विरासत वाली हमारी सांस्कृतिक सामाजिक परंपरा को नष्ट करने का प्रयास कर रही हैं।
इसी तरह पड़ोसी देश बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार की तानाशाही के खिलाफ जन आक्रोश का सहारा ले कर मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में अमरीकी साम्राज्यवाद के दलाल सांप्रदायिक फासिस्ट ताकतों ने सत्ता पर कब्जा जमाया है। योजनाबद्ध रूप से बांग्लादेश को ,लोकतंत्र,मुक्ति युद्ध की विरासत और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को खत्म कर कट्टर इस्लामिक देश बनाया जा रहा है।पिछले एक साल से कभी बाउल-फकीरों पर हिंसक हमले, ऑपरेशन डेविल हंट के तहत हजारों प्रगतिशील वामपंथी धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारियाँ, हत्याएं,पीरों की मजारों को तोड़ना, मंदिरों, बुद्धविहार और गिरजाघरों पर हमले, और अब ‘छायानट’ जैसी प्रसिद्ध संस्था पर आक्रमण हुआ है-जो बाचिक परंपरा, नज़रुल संगीत और रवींद्र संगीत की व्यापक सांस्कृतिक धारा का प्रतिनिधित्व करती है—साम्प्रदायिक कट्टरपंथ की भयावहता को उजागर करता है।
छायानट संस्था 1970–71 से भी पहले से अपनी सांस्कृतिक गतिविधियाँ संचालित करती आ रही है और बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध के दौरान इसकी ऐतिहासिक भूमिका रही हपूरी दुनिया में साम्राज्यवाद और उसके सहयोगी, विभिन्न देशों की ठोस परिस्थिति के अनुसार धार्मिक कट्टरपंथ को उभारकर नव फासीवादी जिन्न पैदा कर रहे हैं जो शासक कॉरपोरेट घरानों के एक प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। एशिया , अफ्रीका और दक्षिण अमरीका सहित विश्व के अनेक क्षेत्रों में लोकतंत्र को वस्तुतः ध्वस्त किया जा रहा है। केवल विपक्षी राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि आम सांस्कृतिक संगठन भी फासीवादी दमन से अछूते नहीं हैं।बांग्लादेश जो कि दक्षिण पूर्व एशिया में साम्प्रदायिक कट्टरपंथी तानाशाही विरोधी “शाहबाग आंदोलन” जैसे वामपंथी प्रगतिशील,लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष आंदोलन और परंपराओं का गढ़ रहा है को साम्राज्यवादी पूंजीवादी ताकतें,भारत की तरह एक फासिस्ट साम्प्रदायिक बांग्लादेश बनाने पर तुली है ।
हम क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच की ओर से बांग्लादेश की जनता के साथ एकजुट होकर फासीवादी और कट्टरपंथी हमलों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं और बांग्लादेश में सांस्कृतिक कर्मियों,मीडिया,अल्पसंख्यकों,प्रगतिशील ताकतों और गरीब मेहनतकश जनता पर किए जा रहे साम्प्रदायिक दमन की कठोर भर्त्सना करते हैं।
तुहिन, असीम गिरि
(अखिल भारतीय संयोजक गण)
क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच RCF
THANKS FOR READING UPDATED NEWS. WE HOPE YOU ARE SUFFICIENT TO AND AGREE WITH TRULY INFORMATION ABOUT BLOG AND WEBSITE सड़क समाचार (roadwaynews.com) WRITE IF ANY COMMENTS INFO@ROADWAYNEWS.COM
Discover more from सड़क समाचार
Subscribe to get the latest posts sent to your email.










