सीएएस ने संयुक्त पेरिस ओलंपिक रजत के लिए याचिका खारिज कर दी
विनेश फोगाट की पहली ओलंपिक पदक जीतने की संभावना को बुधवार को अंतिम झटका लगा जब कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट (सीएएस) ने पेरिस 2024 में संयुक्त रजत पदक के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी। सीएएस के बयान से एक असाधारण गाथा का अंत हो गया। हाल ही में समाप्त हुए खेलों में महिलाओं के 50 किग्रा कुश्ती मुकाबलों के पहले दिन विनेश के अविश्वसनीय प्रदर्शन के साथ शुरुआत हुई, लेकिन थोड़ा अधिक वजन होने के कारण सनसनीखेज तरीके से उन्हें स्वर्ण पदक मैच से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
सीएएस ने संयुक्त पेरिस ओलंपिक रजत के लिए याचिका खारिज कर दी
विनेश 6 अगस्त को अपने पहले मुकाबले में जापानी ओलंपिक चैंपियन युई सासाकी के खिलाफ थीं। सासाकी ने अपने शानदार सीनियर करियर में अभी तक एक भी अंतरराष्ट्रीय कुश्ती मैच नहीं हारा था, लेकिन विनेश ने अकल्पनीय काम किया और जापानी पहलवान को 3-2 से हरा दिया, जिससे सभी हैरान रह गए।विनेश की इस जीत ने न केवल उनके करियर में एक नया अध्याय खोला, बल्कि भारतीय कुश्ती की प्रतिष्ठा को भी बढ़ाया। इस विजय के बाद, विनेश का आत्मविश्वास और भी बढ़ गया, जिससे उन्होंने अगले मुकाबले के लिए भरपूर तैयारी की।
अगले दिन, विनेश को एक और कड़ा मुकाबला करना था, जिसमें उनका सामना कोरिया की मजबूत पहलवान से हुआ। टक्कर शुरू होते ही, दोनों पहलवानों ने एक-दूसरे को हराने के लिए हर संभव प्रयास किया। विनेश ने अपनी तेज गति और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन करते हुए, पहले दौर में ही 4-1 की बढ़त बना ली।
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जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा, विनेश ने अपनी रणनीति को और भी सटीक बना लिया। उन्होंने सासाकी के साथ हुई प्रतियोगिता से सीखे गए सबक को दोहराते हुए, कोरियाई पहलवान की हर चाल का जवाब दिया। आखिरकार, उनका साहस और मेहनत रंग लाई, और उन्होंने इस मुकाबले में भी 5-3 से जीत दर्ज की।
विनेश की ये लगातार जीतें उन्हें विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय टीम का मुख्य सशक्त स्टंभ बना रही थीं। प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद, विनेश ने कहा, “मैंने हमेशा अपने देश का नाम रोशन करने का सपना देखा है, और आज मैं इसे पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ा चुकी हूँ।” उनके इस दृढ़ संकल्प ने उन्हें प्रशंसा और समर्थन के साथ-साथ नई उम्मीदों से भर दिया।
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पूरे कुश्ती जगत में. इसके बाद उन्होंने क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की पूर्व विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता ओक्साना लिवाच को हराया और फिर सेमीफाइनल में क्यूबा की युसनेलिस गुज़मैन को हराया। इस तरह विनेश प्रथम स्थान पर रहींऔर इस शानदार प्रदर्शन के साथ उन्होंने अपनी पहचान और भी मजबूत कर ली। फाइनल मुकाबले में उन्होंने अपनी पूरी ताकत और रणनीति का उपयोग किया, जिससे उन्होंने कांस्य पदक विजेता को हराकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। विनेश के इस ऐतिहासिक जीत ने भारत को कुश्ती में एक नई ऊँचाई पर पहुंचा दिया है।
उनकी मेहनत और लगन ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से सफलता दिलाई, बल्कि पूरे देश को गर्वित किया। विनेश ने अपनी जीत के बाद कहा, “यह मेरे लिए एक सपना सच होने जैसा है। मैं अपने परिवार, कोच और सभी समर्थकों का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया।”
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उनकी सफलता ने युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया है और वह अब नई उम्मीदों और सपनों का प्रतीक बन चुकी हैं। कुश्ती के इस प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों ने यह साबित कर दिया है कि कठिनाईयों से जूझ कर भी सफलता पाई जा सकती है। अब विनेश का अगला लक्ष्य ओलंपिक में भी स्वर्ण पदक जीतना है, जिसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रही हैं।
अगर पहली लहर में विनेश के अभियान को कुश्ती जगत में व्यापक सराहना मिली, तो उनकी अयोग्यता को खेल समुदाय और भारत में सदमे और अविश्वास का सामना करना पड़ा। विनेश और उसके कोचिंग स्टाफ ने मुकाबलों के पहले दिन के बाद पूरी रात यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसका वजन किसी भी तरह 50 किलोग्राम से कम हो जाए, खून निकालने और उसके बाल काटने सहित अत्यधिक उपाय किए, इसके बारे में और रिपोर्टें सामने आईं।
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