हरिश्चंद्र और उनके साथियों का भूख हड़ताल: सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
परिचय:
2 सितंबर 2024 को, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के भोगांव में एक महत्वपूर्ण आंदोलन की शुरुआत हुई। हरिश्चंद्र और उनके साथियों ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। यह हड़ताल सरकारी नीति के विरोध में है, जिसमें सार्वजनिक ठेके के माध्यम से शव दाह करने पर शुल्क लगाया जा रहा है। हरिश्चंद्र और उनके साथी सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस शुल्क को तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाए और शव दाह के लिए नए निर्माण के ठेकेदारों द्वारा संचालित शुल्क प्रणाली को बंद किया जाए।
हड़ताल की पृष्ठभूमि:सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
भोगांव में हाल ही में निर्माणाधीन शवदाह गृह को एक निजी ठेकेदार को दिया गया है, जिसके तहत हर व्यक्ति को अपने परिजनों के शव का दाह करने के लिए शुल्क देना पड़ता है। इससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। हरिश्चंद्र, जो पहले से ही सामाजिक और मानवीय कार्यों के लिए जाने जाते हैं, इस नाइंसाफी के खिलाफ खड़े हुए हैं। उनका कहना है कि अंतिम संस्कार के लिए जनता से पैसा वसूलना मानवता के खिलाफ है और सरकार को तुरंत इस नीति को बदलना चाहिए।
मांगें:सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
- शवदाह के लिए लगाए जा रहे शुल्क को तुरंत समाप्त किया जाए।
- ठेकेदारों द्वारा संचालित शवदाह प्रणाली को बंद किया जाए।
- सरकार सार्वजनिक शवदाह गृहों को संचालित करे और अंतिम संस्कार मुफ्त किया जाए।
- गरीब और असहाय परिवारों को अंतिम संस्कार के लिए सरकारी सहायता मिले।
प्रतिक्रिया और समर्थन:सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
हरिश्चंद्र और उनके साथियों की भूख हड़ताल ने पूरे मिर्जापुर में हलचल मचा दी है। स्थानीय जनता के साथ-साथ कुछ सामाजिक संगठन भी इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यह नीति समाज के गरीब वर्ग के साथ अन्याय है और इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से फैल रहा है, और लोग सरकार से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया:सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
अब तक, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने हड़ताल समाप्त करने की अपील की है और कहा है कि वे इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। लेकिन हरिश्चंद्र और उनके साथी अपनी मांगों पर अडिग हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे हड़ताल जारी रखेंगे।
भविष्य की रणनीति:सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
हरिश्चंद्र और उनके साथी इस आंदोलन को लंबे समय तक जारी रखने की योजना बना रहे हैं। उनके अनुसार, अगर सरकार जल्द ही कोई समाधान नहीं निकालती है, तो वे इस आंदोलन को मिर्जापुर के बाहर भी फैलाने का प्रयास करेंगे। साथ ही, वे अन्य सामाजिक संगठनों से भी समर्थन मांगेंगे ताकि यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठ सके।
प्रश्न और उत्तर (F&Q):सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
प्रश्न 1: हरिश्चंद्र और उनके साथी भूख हड़ताल क्यों कर रहे हैं?
उत्तर: हरिश्चंद्र और उनके साथी सरकारी नीति के खिलाफ भूख हड़ताल कर रहे हैं, जिसमें शव दाह के लिए जनता से शुल्क लिया जा रहा है। उनकी मांग है कि यह शुल्क तत्काल समाप्त किया जाए।
प्रश्न 2: यह शुल्क किस प्रकार की समस्या उत्पन्न कर रहा है?
उत्तर: शव दाह के लिए शुल्क लेना गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर आर्थिक बोझ डाल रहा है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए समस्या है जो पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
प्रश्न 3: सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की है?
उत्तर: अब तक सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। हालांकि, प्रशासन ने हड़ताल समाप्त करने की अपील की है।
प्रश्न 4: अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो हरिश्चंद्र और उनके साथी क्या करेंगे?
उत्तर: हरिश्चंद्र और उनके साथी इस आंदोलन को मिर्जापुर के बाहर भी फैलाने की योजना बना रहे हैं और अन्य सामाजिक संगठनों से समर्थन लेने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रश्न 5: क्या यह आंदोलन केवल मिर्जापुर तक सीमित रहेगा?
उत्तर: फिलहाल यह आंदोलन मिर्जापुर में हो रहा है, लेकिन अगर सरकार ने जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला तो इसे राष्ट्रीय स्तर तक फैलाया जा सकता है।
सारांश:सार्वजनिक ठेके में शव दाह के शुल्क पर रोक की मांग
हरिश्चंद्र और उनके साथियों की भूख हड़ताल उत्तर प्रदेश सरकार की शव दाह शुल्क प्रणाली के खिलाफ एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। यह आंदोलन समाज के गरीब और मध्यमवर्गीय वर्ग के लिए हो रहे अन्याय के खिलाफ है। उनकी मांगें हैं कि इस शुल्क को तुरंत समाप्त किया जाए और शवदाह गृहों का संचालन सरकार खुद करे। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकलता है, तो यह आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है।
हरिश्चंद्र का यह कदम न केवल स्थानीय जनता के हित में है, बल्कि यह मानवता के आधार पर भी सही ठहराया जा सकता है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और कैसे इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
सभी से अनुरोध है कि मेरे डिमांड का समर्थन करें।
- Gen Z protesters united by an anime pirate flag are challenging governments around the world
- Body returned by Hamas is not one of the hostages, Israel says
- Hamas returns remains of four more hostages as Israel returns 45 deceased Palestinians, Red Cross says
- Joyous scenes as Israelis and Palestinians welcome their loved ones
- ‘We are here’: Parents of deceased Israeli hostage react to hostage release
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