गांधी संस्थाओं और संविधान व सद्भावना

गांधी संस्थाओं और संविधान व सद्भावना

सावरकर-गोडसे विचारधारा के लोग गांघी को मारने के बाद, अब गांधी विचार और गांधी संस्थाओं को समाप्त करना चाहते हैं.
आप जानते हैं कि भाजपा-मोदी सरकार ने गांधी जी के साबरमती आश्रम, गुजरात विद्यापीठ और विनोबा भावे -जयप्रकाश नारायण द्वारा शांति, सद्भावना, राष्ट्रीय नवनिर्माण एवं गांधी साहित्य के प्रकाशन के लिए स्थापित बनारस के सर्व सेवा संघ परिसर को जबरन गैर कानूनी तरीके से अपने कब्जे में ले लिया है.
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) जैसी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाकर जी राम जी कर दिया है. आगे नोटों पर से भी गांधी का चित्र हटाने का इरादा है. गांधी को विलेन (राष्ट्र विरोधी) बनाकर गांधी समाधि को भी हटाएंगे ही.

लेकिन आज भी देश-दुनिया में करोड़ों लोग ऐसे हैँ, जो गांधी विचार के अनुयायी हैं या गांधी विचार से सहमत है.

समाजवादी, अंबेडकरवादी, नेहरूवादी, पटेलवादी सुभाषवादी, भगत सिंहवादी, कबीरवादी, रैदासवादी, मुस्लिम, सिख, इसाई, बुद्धिस्ट जैन, बहाई, पारसी आदि विचारधाराओं के लोग संविधान, सद्भावना, सत्य, प्रेम, करुणा एवं सांप्रदायिकता, गरीबी, बेरोजगारी, पर्यावरण, शिक्षा, स्वराज जैसे कई मुद्दों पर गांधी जी के समर्थक हैं.

तो क्या हम सब गांधी को मानने और चाहने वाले लोग गांधी को इतिहास से मिटाने और अपमानित करने वाली मोदी सरकार की कोशिश के खिलाफ-

1- क्या हम लोग एक दिन (1 जनवरी, वर्ष के पहले दिन या 9 जनवरी, प्रवासी दिवस, जिस दिन गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए थे) एक निश्चित समय पर गांधी प्रतिमा, गांधी पार्क या किसी सार्वजनिक स्थान (डा अंबेडकर, नेहरू, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, डॉ लोहिया, लाल बहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि या किसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की प्रतिमा हो) पर गांधी टोपी पहनकर, राष्ट्रीय झंडे के साथ सत्याग्रह कर सकते?

2-क्या हम लोग एक दिन एक साथ अपने घर, संस्था, विद्यालय, कार्यालय या किसी सार्वजनिक स्थान पर

हम गांधी के साथ हैँ
प्ले कार्ड या बैनर के साथ उपवास रख सकते हैं?

3- क्या हम लोग
30 जनवरी के दिन एक साथ गांधी टोपी पहनकर राष्ट्रीय झंडा और गांधीजी की फोटो लेकर या प्ले कार्ड के साथ पैदल मार्च करते हुए अपने गांव, नगर या जिले में स्थापित गांधी प्रतिमा तक चल सकते हैं?

जब सरकार गांधी विचार, गांधी संस्थाओं और संविधान व सद्भावना को मिटा देने पर लगी है, तब चुप रहने से काम नहीं चलेगा, एक सशक्त सामूहिक प्रतिरोध करना ही होगा।

(आप सुझाव दीजिए, हम लोगो को कब और प्रतिरोध का क्या कार्यक्रम लेना चाहिए)

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