नई दिल्ली. अगर क्रिकेट में किसी को फिटनेस का सबूत चाहिए हो तो उसे भारत-न्यूजीलैंड टेस्ट मैच देखना चाहिए. इस मैच में भारत को हार से ऐसे 2 खिलाड़ियों ने बचाया, जिनके कट्टर प्रशंसक भी शायद ही उनकी फिटनेस की तारीफ करें. अक्सर फिटनेस की बात करते हुए सिर्फ शारीरिक बनावट-बुनावट को तरजीह दी जाती है. अगर कमर या पेट पर चर्बी हुई तो खट से उसकी फिटनेस पर सवाल खड़ा कर दिया जाता है. सरफराज खान और ऋषभ पंत का खेल ऐसे सवालों को सिरे से खारिज करता है.
सरफराज खान और ऋषभ पंत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ तब 177 रन की पार्टनरशिप की, जब भारत पर पारी की हार का खतरा मंडरा रहा था. बेंगलुरू टेस्ट की पहली पारी में 46 रन पर सिमटने वाले भारत ने दूसरी पारी में भी 231 रन पर 3 विकेट गंवा चुका था. इसके बाद सरफराज खान और ऋषभ पंत ने भारत को 408 रन तक पहुंचाया. हालांकि, इन दोनों बैटर्स की मेहनत पर बाद में आने वाले बैटर्स ने पानी फेर दिया.
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सरफराज खान 150 और और ऋषभ पंत 99 रन बनाकर आउट हुए. इन दोनों बैटर्स ने उस विकेट पर शानदार पारियां खेलीं, जो भारत की परंपरागत पिचों से थोड़ी अलग थी. इस पर भारत की सामान्य पिचों के मुकाबले ज्यादा उछाल थी. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर तो इससे ज्यादा बाउंसी विकेट मिलेंगी. ऐसे में अगर बाकी बैटर्स का फेल होना भारत के लिए चिंता पैदा करता है तो सरफराज और ऋषभ पंत उम्मीद भी जगाते हैं.
सरफराज खान और ऋषभ पंत ने दिखाया है कि नॉर्मल फिटनेस और स्पोर्ट्स फिटनेस दो अलग-अलग चीजें हैं. स्पोर्ट्स फिटनेस में आपका मानसिक रूप से मजबूत होना ज्यादा जरूरी शर्त है. चयनकर्ताओं को भी इसका तरीका ढूंढ़ना चाहिए कि वे कैसे मानसिक रूप से मजबूत खिलाड़ियों को वरीयता दें. इस बात में कोई शक नहीं कि सरफराज खान की टीम इंडिया में लेट एंट्री की एक वजह यह है कि जिन्हें फैसले लेने हैं, उनकी नजर में वे फिट नहीं थे. जब-जब सरफराज रन बनाते तो उनके वजन को भी देखा जाता.
सरफराज खान ही क्यों ऋषभ पंत को ही लीजिए. यह खिलाड़ी किसी स्लिम पर्सनालिटी का मालिक नहीं है. लेकिन यह खिलाड़ी टीम इंडिया का विकेटकीपर है. जो टेस्ट मैच होने पर दिनभर में तकरीबन 600 बार उठक-बैठक करता है और तकरीबन 150 या 200 बार थ्रो कलेक्ट करने के लिए विकेट पास तक दौड़कर जाता है.
यो-यो टेस्ट को अलविदा कहने का समय
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ‘स्पोर्ट्सस्टार’ के अपने कॉलम में लिखते हैं कि अब वक्त आ गया है कि यो-यो टेस्ट की बजाय स्पोर्ट्स फिटनेस को वरीयता दी जाए. अगर कोई बैटर दिनभर बैटिंग कर सकता है. अगर कोई बॉलर दिन में 20 ओवर बॉलिग कर सकता है तो वह फिट है. जरूरी नहीं कि सारी फिटनेस यो-यो टेस्ट से ही तय हो. साथ ही- चयनकर्ता मेंटल फिटनेस को भी टीम चुनते वक्त वजन दें क्योंकि आखिर में किसी भी खिलाड़ी या टीम की कामयाबी में यही सबसे ज्यादा जरूरी साबित होता है.
Tags: India vs new zealand, Rishabh Pant, Sarfaraz Khan, Team india
FIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 22:33 IST
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