क्रिकेट में इससे अजीब स्थिति कभी देखने को नहीं मिली. दो टीमें हैं जो मैच खेलना चाहती हैं. दोनों टीमों के सभी खिलाड़ी मैदान पर हैं. अंपायर और मैच रेफरी भी तैनात हैं. बारिश नहीं हो रही है. धूप खिली हुई है. लेकिन खेल नहीं हो सकता क्योंकि दो दिन पहले हुई बारिश के चलते मैदान गीला है. और यह सब उस देश में हो रहा है, जो क्रिकेट का सुपरपावर है. जिस देश का क्रिकेट बोर्ड अपनी अमीरी के लिए जाना जाता है.
बात हो रही है अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड टेस्ट मैच की, जो ग्रेटर नोएडा के शहीद विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में होना है. टेस्ट मैच होने के चलते पूरी दुनिया की निगाह इस पर है. पूरी दुनिया में भारत का मजाक बन रहा है क्योंकि जिस मैच को 9 सितंबर को शुरू होना था, वह 10 दिसंबर को भी दोपहर 2 बजे तक शुरू नहीं हो सका है. अफगानिस्तान क्रिकेट के अधिकारी कह रहे हैं कि उनसे गलती हुई. अब वे यहां दोबारा कभी नहीं आएंगे. लेकिन सबसे अमीर बोर्ड खामोश है. बोर्ड के किसी भी पदाधिकारी का इस पर कोई रिएक्शन नहीं आ रहा है. जबकि हर कोई जानता है कि बिना बीसीसीआई की इजाजत के भारत में आधिकारिक क्रिकेट मैच नहीं हो सकता. टेस्ट मैच तो बिलकुल भी नहीं. अगर अफगानिस्तान ने भारत को अपना ‘होम’ चुना है तो इसमें बीसीसीआई और आईसीसी की सहमति है. जिस मैच में बीसीसीआई की सहमति हो, उसका यह हश्र होगा, यह सोच से परे है.
ऐसा नहीं है कि बीसीसीआई के पास संसाधनों की कमी है. ग्रेटर नोएडा के जिस स्टेडियम में अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड टेस्ट मैच होना है, उससे चंद किलोमीटर दूर दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में दिल्ली प्रीमियर लीग हुई. तकरीबन तीन हफ्ते चली इस लीग में बारिश के कुछ देर बाद ही मैच आसानी से कराए गए. तो क्या अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड टेस्ट मैच के लिए किसी ऐसे स्टेडियम को मेजबानी नहीं दी जानी चाहिए थी, जहां पर्याप्त संसाधन हों.
यह सही है कि अफगानिस्तान ने 2015 से 2017 के बीच बतौर होस्ट ग्रेटर नोएडा में कई मैच खेले हैं. लेकिन क्या बीसीसीआई और आईसीसी को यह सुनिश्चित नहीं करना चाहिए था कि टेस्ट मैच के लिए या तो कोई दूसरा बेहतर वेन्यू चुना जाता या फिर ग्रेटर नोएडा के मौजूदा स्टेडियम में अच्छी सुविधाएं मुहैया कराई जातीं. यह बड़ा सवाल है कि जिस स्टेडियम को बीसीसीआई ने कुछ साल पहले बैन किया था, वहीं पर टेस्ट मैच क्यों करवाया गया.
सब जानते हैं कि 2017 में बीसीसीआई ने विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स को बैन कर दिया था. वजह- इस मैदान पर तब एक प्राइवेट लीग खेली गई थी, जिसे बोर्ड से मान्यता हासिल नहीं थी. जाहिर है इस मैदान के कर्ताधर्ताओं की पहली प्रायरिटी इंटरनेशनल मैचों के इतर भी कुछ रही होगी. नहीं तो ऐसा क्यों होता कि जिस स्टेडियम में इंटरनेशनल मैच हो रहे हों, वह ऐसी प्राइवेट लीग की मेजबानी करता, जिसके कारण उसे बैन झेलना पड़े. लेकिन अब यह मामला ग्रेटर नोएडा के स्टेडियम का नहीं रह गया है. यह पूरे देश का सवाल है. आज अगर क्रिकेटफैंस इस बात के लिए भारत का मजाक उड़ा रहे हैं कि वह टेस्ट मैच भी नहीं करा सकता तो फिर सारे संसाधनों और अमीरी का क्या मतलब.
बता दें कि अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड और भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने 2015 में एक मेमोरेंडम पर दस्तखत किए थे. इसके मुताबिक अफगानिस्तान ने भारत को अपने ‘होम’ मैच खेलने के लिए चुना था. इसी समझौते के तहत अफगानिस्तान ने ग्रेटर नोएडा, देहरादून और लखनऊ में मैच खेले. इसलिए अब जब खिली धूप में गीला मैदान होने के चलते अफगानिस्तान अपना टेस्ट मैच नहीं खेल पा रहा है तो इसमें बीसीसीआई की जिम्मेदारी बनती है. बीसीसीआई के पदाधिकारी ऐसे मसलों पर खामोशी ओढ़ते रहे हैं. सवालों से बचना बोर्ड की पुरानी आदत है. लेकिन जब आपकी गलती की वजह से दुनिया में भारत की भद पिट रही हो तो आप खामोश नहीं रह सकते. जवाब तो देना होगा.
FIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 14:00 IST
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