OPINION : ब्रिसबेन के रण से पहले राणा जी से किसने मांगी माफी, पर्थ से एडीलेड तक में हर्षित के साथ क्या बदल गया

OPINION : ब्रिसबेन के रण से पहले राणा जी से किसने मांगी माफी, पर्थ से एडीलेड तक में हर्षित के साथ क्या बदल गया


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ब्रिसबेन. पर्थ में अपने शानदार पदार्पण के बाद भारतीय क्रिकेट का शिखर बनने से लेकर एडिलेड में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ‘कोटा’ चयन तक, हर्षित राणा ने अब प्रशंसकों की भावनाओं की पूरी सीरीज  देख लिया है . इसीलिए ब्रिसबेन पहुंचने पर कोई एक खिलाड़ी जो सबसे ज्यादा दबाव लेकर एडीलेड से आया वो है तेज गेंदबाज हर्षित राणा .
पर्थ के बाद हर्षित राणा भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी खोज बन चुके थे. उनकी आक्रामकता, उनकी हिट-द-डेक गेंदबाजी, ट्रैविस हेड को आउट करने के लिए उनकी पहली पारी की गेंद, सब मिलाकर राणा जी का चयन एक मास्टरस्ट्रोक माना जाता था। अब, एक पखवाड़े से भी कम समय में और एक खराब प्रदर्शन के बाद, राणा संदेह के घेरे में हैं. आलोचक तो यहां तक कहने लगे कि वह गौतम गंभीर के कोलकाता नाइट राइडर्स कनेक्शन के आधार पर एक “कोटा” चयन है.

फैंस को राणा जी माफ करना

पल में हीरो पल में जीरो बनाना भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए कोई नई बात नहीं है. पर्थ के बाद न तो राणा सबसे महान गेंदबाज बन गए थे, न ही एडिलेड के बाद वह बकवास बॉलर हैं. सच तो यह है कि उनकी एक पारी खराब रही है. हेड ने अपने घरेलू मैदान पर हर्षित को टॉर्गेट किया और राणा की हार हो गई. सवाल बड़ा ये है कि राणा ने कितनी बार गुलाबी गेंद से गेंदबाजी की है? उन्होंने कितने मौकों पर ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया है? ऐसा कैसे है कि वह असफल नहीं हो सकते, जबकि उनके पास गुलाबी गेंद से रोशनी में गेंदबाजी करने का बहुत कम या कोई अनुभव नहीं है ? अब अचानक आकाश दीप के खेलने की मांग उठने लगी है। मानो आकाश के शामिल होने से हर समस्या का समाधान हो जाएगा। और यदि वह असफल हो जाता है, तो उसे भी जल्द ही कूड़ेदान के लिए उपयुक्त माना जाएगा।
एक बात तो साफ है कि भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों में धैर्य की कमी है और राणा का मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है. एक युवा व्यक्ति जिसने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा है और अपनी शुरुआत में ही बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था, उसने केवल एक पारी में खराब प्रदर्शन किया और परिणामस्वरूप उसे दरकिनार  किया जा रहा है.

ब्रिसबेन में राणा को रण में उतारना चाहिए

ऑस्ट्रेलिया में कुछ क्रिकेट एक्सपर्ट्स का अभी भी मानना है कि  ब्रिस्बेन में टीम इंडिया को एक बार फिर राणा के साथ जाना चाहिए . गाबा की परिस्थितियाँ उसके अनुकूल होंगी, और किसी भी तरह के प्रयोग की आवश्यकता नहीं है. हर्षित के साथ ब्रिसबेन में एक अच्छा प्रैक्टिस सेशन उनको एक बेहतर गेंदबाज बना सकता है . गेंदबाजों के साथ भी धैर्य से काम लेना जरूरी है याद करें महान सर कर्टली एम्ब्रोस भी अपनी पहली श्रृंखला में छह पारियों में सात विकेट तक ही सीमित रह गए थे. हर तेज गेंदबाज को सामंजस्य बिठाने में थोड़ा समय लगता है और राणा भी अलग नहीं हैं. पर्थ में उनका प्रभाव था और ब्रिस्बेन में भी उनका प्रभाव रहेगा. जरूरी है कि ब्रिसबेन में कोच गंभीर, बॉलिंग कोच मोर्ने मोर्कल और कप्तान रोहित को उनसे बात करें . हर्षित को बैक करें और उसे आत्मविश्वास दें। राणा एडिलेड के बाद एक बेहतर क्रिकेटर होंगे, और भारत के लिए ब्रिस्बेन में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए,उन्हें एक और मौका देना गलत नहीं होगा.

Tags: Border Gavaskar Trophy, Gautam gambhir, IND vs AUS Brisbane Test, India vs Australia, Rohit sharma

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